Cognizant, a Nasdaq-listed technology company और L&T – Larsen & Toubro, an Indian engineering giant पर कॉग्निज़ेंट के पुणे और चेन्नई परिसरों के निर्माण परमिट को तेजी से प्राप्त करने के लिए कथित रिश्वत देने के मामले में गंभीर कानूनी कार्रवाई चल रही है। इन आरोपों ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों में जांच का नेतृत्व किया है, जिससे इन प्रमुख कंपनियों के कार्यों पर बड़ा ध्यान गया है।
यहां हम मुख्य आरोपों और जांच की वर्तमान स्थिति को समझाते हैं। 2013-14 में पुणे परिसर (Pune complex) से संबंधित रिश्वत का मामला सरकारी अधिकारियों को $770,000 की कथित भुगतान पर केंद्रित है ताकि पर्यावरण और अन्य मंजूरी को तेजी से प्राप्त किया जा सके।
Cognizant और L&T पर लगे आरोप : पुणे और चेन्नई परिसर के लिए Corporate Bribe पर कारवाही।
Cognizant और L&T पर आरोप है कि उन्होंने भारत में काम करने की मंजूरी पाने के लिए सरकारी अधिकारियों को अवैध भुगतान में मदद की। अमेरिकी कंपनी टीनेक (US-based company Teaneck) के कांट्रेक्टर और भारत की प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी एलएंडटी की जांच हो रही है।
शिकायत पर्यावरण कार्यकर्ता (environmental activist) और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी प्रीत पाल सिंह (retired police officer Prit Pal Singh) द्वारा शुरू की गई थी, जो (U.S. Securities and Exchange Commission -SEC) के निष्कर्षों पर आधारित थी।
2016 में Cognizant Parent Company द्वारा ये भुगतान किए गए एक आंतरिक ऑडिट (internal audit) के दौरान उजागर हुए थे। पुणे सत्र न्यायालय (Pune Sessions Court) ने महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) (Maharashtra Anti-Corruption Bureau) को जांच करने का निर्देश दिया है, यह कहते हुए कि SEC के निष्कर्षों ने (FCPA -Foreign Corrupt Practices Act) के उल्लंघन को दर्शाया है।
दोनों मामलों में, funds को कथित रूप से एलएंडटी के माध्यम से इस तरह से भेजा गया था कि भुगतान की वास्तविक प्रकृति को छुपाया जा सके। कोबर्न पर अधिकारियों को रिश्वत देने को मंजूरी और सुविधाजनक बनाने का आरोप है, जबकि श्वार्ट्ज ने कथित रूप से कानूनी कवर (legal cover) प्रदान किया ताकि लेन-देन कागज पर वैध दिखे।
Corporate Allegation है कि Larsen & Toubro ने Cognizant को पुणे मामले में बताया कि परमिट मंजूरी के लिए रिश्वत जरूरी है, जिसके बाद कॉग्निज़ेंट की भारतीय सहायक कंपनी (Indian subsidiary) ने इन भुगतानों को मंजूरी दी और एलएंडटी को reimbursement किया।
चेन्नई परिसर (Chennai complex) का मामला $2.5 मिलियन की रिश्वत से संबंधित है, जिसे कॉग्निज़ेंट के पूर्व अध्यक्ष गॉर्डन कोबर्न (Gordon Coburn) और पूर्व मुख्य कानूनी अधिकारी स्टीवन श्वार्ट्ज (Steven Schwartz) द्वारा निर्माण परमिट प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर दिया गया था। यह रिश्वत कथित रूप से एलएंडटी के माध्यम से दी गई थी।
Corporate Bribe में Cognizant और L&T के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में संयुक्त राज्य अमेरिका में कोबर्न और श्वार्ट्ज के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को प्रमुख गवाह मनिकंदन राममूर्ति (Manikandan Ramamoorthy) की गैरमौजूदगी के कारण स्थगित कर दिया गया है, जिनका पासपोर्ट भारत में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा रिश्वत के आरोपों की जांच के हिस्से के रूप में जब्त कर लिया गया है।
अब ACB इन लेन-देन की जांच कर रही है और उन सरकारी अधिकारियों की पहचान करने का प्रयास कर रही है जिन्होंने कथित रूप से रिश्वत ली थी। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत कॉग्निज़ेंट और एलएंडटी अधिकारियों, जिनमें पूर्व कॉग्निज़ेंट उपाध्यक्ष मनिकंदन राममूर्ति (Vice President Manikandan Ramamoorthy) भी शामिल हैं, के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए हैं।
भारत और अमेरिका में जारी कानूनी लड़ाई आरोपों की गंभीरता को उजागर करती है, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने पुणे मामले में ACB की शिकायत पर “अगली सुनवाई तक” रोक लगा दी है और चेन्नई मामले में कार्यवाही अभी भी जारी है।
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Conclusion
Cognizant और L&T के खिलाफ जांच (investigation) पर ध्यान केंद्रित है, जिसमें उद्योग में कॉर्पोरेट प्रशासन (corporate governance) और कानूनी अनुपालन (legal compliance) के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव हैं।
इन मामलों के परिणाम पर दुनिया भर में कंपनियों, हितधारकों (stakeholders) और नियामक निकायों (regulatory bodies) द्वारा करीब से नजर रखी जाएगी। इस खबर से इन व्यवसायों के वातावरण और आर्थिक व्यवहार को लेकर काफी बातें उजागर की हैं। कानून के साथ हर स्तर पर जुड़ें Stakeholders के लिए यह बहुत बड़ी सीख को प्रस्तुत कर रहा है।