Shark Tank India पर Coratia Technologies Business ने ₹50 लाख और ₹2 करोड़ में Remote Operated Underwater vehicle को विविध Under Water Data Capture और Water Bodies में Reach Solution दिलाने के लिए बिज़नेस पिच प्रस्तुत की है।
Engineering Colleges को इस तरह का Autonomous Vehicle बनाने के लिए चैलेंज दिया गया था। National Institute of Ocean Technology के इस चैलेंज के वजह से इस तकनीक में बेहतर समाधान प्रदान करने का अवसर बना और बिज़नेस निर्माण हुआ ।
2 करोड़ की मशीन बेचने Shark Tank India Business की पूरी जानकारी
Colleges को दिए गए Autonomous Underwater Vehicle Challenge के लिए Coratia Technologies बिज़नेस बना।
इन बिज़नेस पिचर ने शुरुवात में ही बताया कि -“गहरे समंदर के हम अपने आप को James Bond बोलते हैं!” इस बिज़नेस पिच कि शुरुवात में ही उन्होंने under water robots कि तकनीक कि उपयोगिताओं और तैयारी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इन रोबोट्स की मदद से वह high end technical data provide करते हैं।
इनके यह वेहिकल से Inspection conduct कर सकते हैं और Surveillance भी कर सकते हैं।
₹2 करोड़ और ₹50 लाख में Remote Operated Underwater Vehicle बेचनेवाले Coratia Technologies Founders – बिस्वजीत स्वैन और देबेंद्र प्रधान (Biswajit Swain and Debendra Pradhan) नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी,राउरकेला (National Institute of Technology,Rourkela) के छात्र हैं।
शार्क टैंक इंडिया में उड़ीसा और महानदी के क्षेत्र से ऐसे तकनिकी विकास और बिज़नेस की पृष्टभूमि पर शार्क रितेश ने भी फाउंडर्स की प्रशंसा की। इस बिज़नेस में दो तरह की उपयोगिता के Remote Operated Underwater Vehicle बनाएं गए हैं;
- जलदुता – सर्विस क्लास रोबोट (Jaladuta – Service Class Robot)
- जलसिम्हा – भारतीय नौसेना के लिए विशेष उत्पाद (Jalasimha – Product Exclusive For Indian Navy)
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Conclusion
2 करोड़ की मशीन बेचने Shark Tank India Business की बात से हमें नई बात जान्ने मिली कि सबकी सुरक्षा और देख रेख के लिए Government Regulation के अनुसार कोई भी स्ट्रक्चर हो डैम या नदी पर बने ब्रिज, उसकी वर्ष में 2 बार जांच तो होनी ही चाहिए।
इस तरह के जनहित के कार्यों के लिए सर्कार कॉलेज और विविध संस्थाओं से जुड़कर काम करती है। यदि आपको ऐसी तकनिकी पर काम करना हो, आपको ग्रांट और निवेश के लिए इस तरह के संगठनों से जुड़कर समाधान बनाने चाहिए, जिससे भारत देश को समय पर जांच करने के पर्याप्त तकनिकी उपलब्धि दिलाई जा सकती है।