Shark Vineeta Singh Business Lesson Episode 22 Gross Margin के बारे में आसान भाषा में बताया गया है। कार्यक्रम के दौरान यह शब्द काफी इस्तेमाल किया गया था। कई लोगों के लिए ग्रॉस मार्जिन का मतलब मुनाफा है। लेकिन मुनाफों को बिज़नेस की भाषा में और भी वर्गीकरण किया हुआ है।
ग्रॉस प्रॉफिट, नेट प्रॉफिट, एबीडता, ईपीएस और कई ऐसे फार्मूला से विषय अनुसार मुनाफा लेखा जाता है। कॉस्टिंग के विषय मे उत्पादन करने हेतु उत्पाद के गणित अनुसार ग्रॉस मार्जिन की बात की जाती है। बिज़नेस के मोटे मोटे निर्णय के लिए ग्रॉस मार्जिन परसेंट से इसके अन्य निर्णय की तैयारी की जाती है। इसके अलावा जो प्रॉफिट हैं, उनसे फिनांशल मैनेजमेंट के निर्णय लिया जाते हैं।
Shark Vineeta Singh Episode 22 Shark Lesson of the Day
Shark Tank India Episode 22 Business Lesson में मुनाफे के आंकड़ों को दर्शाने कार्यक्रम में इस्तेमाल हुए शब्द की सीख दी है। हम में से काफी लोग जानते है कि ग्रॉस मार्जिन का मतलब प्रॉफिट होता है। लेकिन बिज़नेस के लिए प्रॉफिट के अलग अलग मायने बन जाते हैं। इसलिए शार्क विनीता सिंह (Shark Vineeta SIngh) ने Shark Tank India Business Lesson 22 में Gross Margin Meaning आसान भाषा में बताया है;
“ग्रॉस मार्जिन का मतलब है, हर एक्स्ट्रा प्रोडक्ट जब आप बेचते हैं, तो आपकि जेब में कितना बचता है। मतलब अगर आपने सौ रुपये कि एक प्रोडक्ट बेची, और आपको उसको बनाने में चालीस रुपये लगे तो मतलब साठ रुपये आपके जेब में बचे हर एक्स्ट्रा प्रोडक्ट को बेचते टाइम। इसका मतलब ये है कि आपका ग्रॉस मार्जिन हुआ सिक्सटी डिवाइडेड बाई हंड्रेड, व्हिच इस सिक्सटी परसेंट ग्रॉस मार्जिन।”
Shark Tank India Episode 22 Gross Margin Formula
Business Lesson Episode 22 Gross Margin का प्राथमिक फॉर्मूला, जो आम तौर पर नगद मुनाफा लिखने किया जाता है, उसके बारे में जानते हैं। जैसे कि हमने शार्क विनीता सिंह के बिज़नेस लेसन में देखा कि बेचने की किम्मत में उसकी लागत को कम करने के बाद जो बाख जाता है, वो बिज़नेस की आय बन जाती है। यह मुनाफा अक्सर प्रति उत्पाद या परसेंट में बताया जाता है।
ग्रॉस मार्जिन (Gross Margin) = सेल्लिंग प्राइस (Selling Price) – कॉस्ट ऑफ गुड सोल्ड(Cost of Goods Sold)/100
Business Lesson Gross Margin Formula Terms
- सेल्लिंग प्राइस (Selling Price)
यह उत्पाद (प्रोडक्ट) को ग्राहक तक दिलाने की किम्मत होती है। बुसिनेस के किताबों में बताए तो यह फाइनल प्राइस ऑफ दी प्रोडक्ट है। यह वो किम्मत है, जो मार्किट में प्रिंट करके दिलाई जाती है। कंसुमर जो आखरी ग्राहक होता है, उसकी खरीदने जो दाम लगता है, वो दाम इस फार्मूला में लेना चाहिए।
- कॉस्ट ऑफ गुड्स सोल्ड (Cost of Goods Sold)
यह उत्पाद बनाने में लगी सामग्री की किम्मत है। उदारहण के तौर पर अगर हम शरबत की बोतल का व्यापार में कॉस्ट ऑफ गुड्स सोल्ड देख रहे हैं, तो उसमें शकर, पानी, एसेंस, बोतल और लेबल की किम्मत को जोड़ेंगे। इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, उसे बेचने के डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट, सेल्स कॉस्ट , बिज़नेस के लिए जगह का रेंट, इलेक्ट्रिसिटी इत्यादि किम्मत इस गणित में नहीं ली जाएगी।
Must Read:- What is EBITDA ? – Full Form|EBITDA Margain|EBITDA Formula With Example
Shark Vineeta Singh Business Lesson Episode 22 में ग्रॉस मार्जिन की बात की है। बिज़नेस और कॉमर्स में इसके समान कुछ शब्दों की बात आपके सामने रख रहे हैं। यह सब शब्द और फॉर्मूला व्यापार के मुनाफे को परखने इस्तेमाल किये जाते हैं।
- ग्रॉस प्रॉफिट (Gross Profit)
ग्रॉस मार्जिन प्रॉफिट का परसेंट होता है। इसे ढूंढने हम पहले ग्रॉस प्रॉफिट ही ढूंढ़ रहे हैं। सेल्लिंग प्राइस (Selling Price) में से कॉस्ट ऑफ गुड्स सोल्ड (COGS) को कम करने से पहले ग्रॉस प्रोफिट (Gross Profit) मिलता है। हम इसको रुपये में इस्तमेमाल करते हैं। इसमें हम टोटल ग्रॉस प्रॉफिट ढूँढ़ते हैं या पर यूनिट (per unit) के लिए ढूँढ़ते हैं। यह ट्रेडिंग एकाउंट (Trading Account) माने मैन्युफैक्चर (manufacture) करने की किम्मत घटाकर बचनेवाला मुनाफा है।
Gross Profit Formula
ग्रॉस प्रॉफिट (Gross Profit) = सेल्लिंग प्राइस (Selling Price) – कॉस्ट ऑफ गुड्स सोल्ड (Cost of Goods Sold)
- नेट प्रॉफिट (Net Profit)
नेट प्रॉफिट में उत्पाद बनाने के खर्चों के अलावा बिज़नेस के सभी खर्च जैसे निवेश की रक्कम पर लगा हुआ ब्याज,सेल्स कमीशन, रेंट, इलेक्ट्रिक बिल और मशीन्स और अन्य एसेट की बटी हुई किम्मत जिसे डेप्रिसिएशन कहते हैं, सभी खर्च को घटाकर आखिर में बचनेवाले मुनाफे को नेट प्रॉफिट (Net Profit) कहते हैं। ट्रेडिंग एकाउंट प्रॉफिट के आगे ये सभी खर्च अलग से कम किये जाते हैं, जिसे प्रॉफिट एंड लोस्स एकाउंट कहते हैं। इसलिए नेट प्रॉफिट को प्रॉफिट एंड लोस्स एकाउंट प्रॉफिट भी कहते हैं।
Net Profit Formula
नेट प्रॉफिट (Net Profit)= सेल्लिंग प्राइस (Selling Price) – कॉस्ट ऑफ गुड्स सोल्ड (Cost of Goods Sold) – ऑल इनडाइरेक्ट एक्सपेंसेस (All Indirect Expenses)
- नेट मार्जिन (Net Margin)
जब नेट प्रॉफिट को परसेंट में प्रस्तुत करते हैं, तो वो नेट मार्जिन बेम जाता है।
Net Margin Formula
नेट मार्जिन (Net Margin) = नेट प्रॉफिट (Net Profit)/100
- प्रॉफिट रेश्यो (Profit Ratio)
प्रॉफिट को हमेशा सेल्स के सामने रखकर बिज़नेस के निर्णय लिए जाते हैं। एक इंटरप्रेन्योर को सेल्स प्राइस और प्रॉफिट तय करके उसके आस पास कई ऐसे निर्णय लेने होते हैं।
Profit Ratio Formula
प्रॉफिट रेश्यो (Profit Ratio) = प्रॉफिट (Profit)/ Sales(सेल्स)
Note:
- प्रॉफिट रेश्यो ग्रॉस और नेट दोनों के लिए निकाले जा सकते हैं।
- ग्रॉस प्रॉफिट रेश्यो में प्रॉफिट के जगह ग्रॉस प्रॉफिट लेना है और नेट प्रॉफिट रेश्यो के लिए प्रॉफिट के जगह नेट प्रॉफिट लेना है।
Conclusion
Shark Tank India Episode 22 Business Lesson Gross Margin के विस्तार में बहुत से और भी चर्चायें और सीख दी जा सकती है, लेकिन उन विषयों को यहाँ समझाने से यह विषय कई लोगों के लिए मुश्किल बन सकता है। हमनें उस ही कारण से यहाँ बिज़नेस प्रेरित लोगों को मुख्य जानकारी दिलाने हेतु सरल प्रकार से प्रस्तती की है।
अगर आपने Shark Tank India Episode 22 Business Lesson Topic Gross Margin को कॉमर्स या बिज़नेस वे प्राथमिक शिक्षण के किताब को पढ़ा होगा, तो इस शब्द को कई बार देखा होगा। इस शब्द को एकाउंटिंग, कॉस्टिंग और फिनांशल मैनेजमेंट में उनके कांसेप्ट अनुसार इस्तेमाल किया जाता है। हमारे इस ब्लॉग में हम प्राथमिक विषय की समझ बनाने के उद्देश्य से लेखन करते हैं। पढ़ाई के विस्तार में पढ़नेवाले लोगों से निवेदन हैं कि वे अपनी किताब में इन शब्दों के अर्थ और गणित में विषय अनुसार सूचनाएं मिलाकर इस लेखन का इस्तेमाल करें।
Must Read:- 15 Unseen Pitches Of Shark Tank India Season 1