Shark Namita Thappar पहले एपिसोड का Shark Lesson of the Day में Scalability का अर्थ आसान शब्द में समझाती हैं। शार्क टैंक इंडिया में शब्दकोश , शार्क लेसन ऑफ दी डे, अपग्रेड कोर्स , ब्लैक डॉग सोडा मोमेंट्स, और भी प्रकार से व्यवसाय से जुड़ती हुए पहलू को पेश किया है।
बिज़नेस लेसन ऑफ दी डे – शार्क नमिता थापर (Business Lesson of the day – Shark Namita Thappar)
हर एपिसोड में आनेवाले व्यावसायिक विषय पर शार्क सीख देते हैं। आम और आसान भाषा में शार्क नमिता थापर सकैलीबिलिटी (Scalability) का मतलब बताती हैं – “सकैलीबिलिटी (Scalability) का मतलब है कि आप आपके कस्टमर (Customer), आपके सेल्स (Sales), ओवर ओल बिज़नेस (Overall Business) को कितना बड़ा बना सकते हैं।”
इस विषय को और गहराई में समझाये तो इसका वैवसायिक सीधा अर्थ यह बनता है कि आपके व्यवसाय की बिक्री बढ़ाते हुए, उसे बनाने की प्रक्रियाओं में अंतर आता है और साथ ही बाजार (मार्किट) में उसे ग्राहकों की मांगों के अनुसार उसे योग्य मुनाफे के साथ वितरित करने की क्षमता के अनुसार बिज़नेस में बढ़ौती को नापना चाहिए।
बिज़नेस में सकैलीबिलिटी (Scalability) क्यों महत्त्व रखती है?
बिज़नेस में समय और पैसों को निवेश करते हुए, ये गिनती जरूरी है कि व्यापार को स्केल (scale) करने के बाद मुनाफा हो रहा है। कई बार शुरुवात में ही निवेश बहुत हो और मुनाफे का स्तर निवेश से ज्यादा न हो तो नुकसानी झेलनी पड़ती है। एक अच्छी आयवाले व्यापार में अगर वो सकैलीबिलिटी (Scalability) सक्षम न हो और बिज़नेस को बड़ा करने में बने बनाया बिज़नेस नुकसान दे जाता है।
कुछ व्यापार में सकैलीबिलिटी (Scalability) हो ही नहीं सकती। जैसे कोई सलाह या व्यक्तिगत शैली जैसे, डॉक्टर, कलाकार, ब्यूटिशियन इत्यादि। ये सब व्यापार में बढ़ौती करने का बिज़नेस मॉडल ही बदलना पड़े। एक व्यक्ति की खुदकी सेवा एक स्तर के बाहर स्केल (scale) नहीं कर सकते। ऐसे ही जो उत्पाद जल्द बिगड़ जाते है उसे एक क्षेत्र में ही बेच सकते है।
कुछ उत्पाद के लिए मार्किट में सीमित मांग होती है। जैसे की ठड़े प्रदेश में गरम कपड़े मिलते है। स्थानीय उत्पाद भी उस ही स्थल तक स्केल (scale) कर सकते है।
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बिज़नेस में सकैलीबिलिटी (Scalability) कब कब देखी जाती है?
बिज़नेस शुरू करते वक़्त देखना चाहिए के निवेश से आगे मुनाफा होगा। उसके लिए बिक्री की सकैलीबिलिटी निवेश से अधिक होनी चाहिए।
किसी भी बिज़नेस डील में जुड़ते हुए, उसके निवेश से पहले सकैलीबिलिटी (Scalability) को समझना बहुत जरूरी है।
एक बिना किसी आय वाला बिज़नेस आगे बहुत मुनाफा दे सकता है और अच्छा खासा बिज़नेस बिना सकैलीबिलिटी के नुकसान दे सकता है।
बिज़नेस को चलाते हुए , सकैलीबिलिटी (Scalability) के साथ मुनाफा बढ़ना चाहिये। अक्सर ये देखा गया है, उत्पाद को बड़े पैमाने में बनाने के कारण उसको बनाने की लागत कम लगती है, जिससे मुनाफा बढ़ जाता है।
सकैलीबिलिटी (Scalability) के विषय को इस्तेमाल कैसे करे?
हर बिज़नेस की सकैलीबिलिटी (Scalability) के साथ उसकी शुरू से आखिर तक की प्रक्रिया में बदलाव के कारणों को जमाकर ही व्यापार के स्तर को कम ज्यादा करना चाहिए। अगर बाजार में बिज़नेस में लागत के दाम में अंतर है और व्यापार नुकसान खाने लगा हो, नए दाम को लेकर सकैलीबिलिटी (Scalability) को कम करना भी एक अच्छा निर्णय हो सकता है। टेक्नोलॉजी और फैशन में समय पे सकैलीबिलिटी (Scalability) बढ़ाना और घटाना मुख्य निर्णय बनता है।
और ऐसे कई व्यवसाय हैं, जहाँ मांग होने के बावजूद मेहेंगे उत्पाद ग्राहक ले नही सकता। लेकिन ऑटोमेशन को इस्तेमाल कर अगर उसकी लागत कम कर दिया जाये तो वो व्यवसाय मुनाफे से आगे चल सकते है।
सकैलीबिलिटी (Scalability) के प्रक्टिकल उदाहरण?
प्रीमियम और लिमिटेड एडिशन को कम स्केल (scale) पर बनाया जाता है, और इसलिए ज्यादा मांग रखकर बाजार में महँगा बेचा जाता है। यूज़ एंड थ्रो (use and throw) वाले उत्पाद या ऐसे उत्पाद जिसे न्यूनतम दाम पर ग्राहक खरीदना पसंद करते हो, उसकी सकैलीबिलिटी (Scalability) बढ़ाकर कम दाम में बेचने से फायदा रहता है। स्टेशनरी, पैकिंग, एडवरटाइजिंग पम्फलेट, ज़ेरॉक्स, प्रिटिंग, इत्यादि इसके अच्छे उदाहरण है।
Conclusion
Business Scalability सिर्फ बैलेंस शीट (balance sheet) का मल्टीप्लायर नहीं। व्यापार को कम ज्यादा करने से, लागत, बिक्री, और बाजार में अंतर आ जाता है। हर क्षेत्र में अनुमान लगाने के साथ साथ समय पर उसे करना ही सकैलीबिलिटी (Scalability) की सच्ची सीख है। ये एक गणित के साथ साथ व्यापारी सूझ बूझ है, जो व्यवसायिक निर्णय लेने में मदद देते हैं।